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केंद्र सरकार ने गेंहू के भावों को नियंत्रण करने के लिए जारी की यह योजना

केंद्र सरकार ने गेंहू के भावों को नियंत्रण करने के लिए जारी की यह योजना

आटे के भावों में बढ़ोत्तरी होने की वजह से केंद्र सरकार बेहद चिंतित है। हाल ही में जारी की गई ओएमएसएस नीति केंद्र सरकार द्वारा आटे की कीमतों के नियंत्रण हेतु लाई गई है। इस योजना के अंतर्गत केंद्र सरकार लाखों टन गेहूं बाजार मेें लेकर आएगी, भारत में बढ़ते अनाज के भाव को नियंत्रित करने हेतु केंद्र सरकार बेहतर निर्णय ले रही है। बीते कुछ महीनों में देश के अंदर गेहूं के मूल्यों मेें काफी वृद्धि देखने को मिली है। जिसकी वजह से आटे का भाव भी स्वाभाविक रूप से बढ़ा है। बतादें, कि आटे के भाव में वृद्धि के कारण रोटी महंगी हो गयी है, जिससे आम लोगों के घर का बजट बिगड़ना शुरू हो गया है। हालाँकि, केंद्र सरकार इनके बजट को संतुलित करने के लिए पहल कर रही है। केंद्र सरकार का प्रयास है, कि आटे की बढ़ती कीमतों पर नियंत्रण किया जा सके। इस विषय में उच्च स्तर पर कार्य आरंभ हो चुका है।

आटे के भाव कैसे कम करेगी सरकार

मीडिया की खबरों के मुताबिक, केंद्रीय खाद्य मंत्रालय द्वारा गेहूं का भाव को लेकर साल 2023 हेतु एक खुली बाजार बिक्री योजना (ओएमएसएस) नीति जारी की है। आपको बतादें, कि इस योजना के तहत केंद्र सरकार थोक विक्रेताओं को एफसीआई द्वारा 15 से 20 लाख टन अनाज जारी किया जायेगा। केंद्र सरकार गेहूं का अच्छा खासा भंडारण रखती है। इसी वजह से अनाज की समस्या उत्पन्न नहीं होगी, साथ ही इस वर्ष गेहूं की बुवाई भी बहुत ज्यादा हो रही है। देश में गेहूं की फसल का क्षेत्रफल तीव्रता से बढ़ रहा है।

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आटे की कीमतों में वृद्धि का कारण क्या है

यदि उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के आंकड़ों को देखें तब हम पायेंगे कि बीते वर्ष इसी गेहूं का औसत खुदरा भाव 28.53 रुपये प्रति किलोग्राम था। दूसरी तरफ इसी समय में 27 दिसंबर 2022 को गेहूं का खुदरा भाव 32.25 रुपये प्रति किलोग्राम तक पहुंच गया है। गेहूं के भाव में वृद्धि तो आटे के भाव को भी इसने काफी प्रभावित किया है। बतादें कि आटे का भाव एक वर्ष पूर्व 31.74 रुपये प्रति किलोग्राम था। लेकिन इस वर्ष इसमें बढ़ोत्तरी होकर 37.25 रुपये प्रति किलोग्राम कीमत हो गई है। बतादें, कि केंद्र सरकार की ओएमएसएस नीति अत्यंत आवश्यक तो है, ही साथ ही बेहद महत्वपूर्ण भी है। भारत में अनाज संकट की परिस्थिति दिखने एवं सरकारी उपक्रम, भारतीय खाद्य निगम (FCI) को स्वीकृति प्रदान करती है, कि थोक उपभोक्ताओं एवं निजी व्यापारियों को खुले बाजार में पूर्व-निर्धारित मूल्यों पर गेहूं एवं चावल आदि खाद्यान उत्पाद विक्रय कर दिए जाएंगे। इसकी सहायता से बाजार में उत्पन्न हो रहे, खाद्यान संकट को खत्म किया जाता है।

आखिर क्यों आयी गेंहू के उत्पादन में कमी

केंद्र सरकार के रिकॉर्ड के मुताबिक, पिछले वर्ष गेहूं की पैदावार में घटोत्तरी सामने आयी थी। इसकी मुख्य वजह यूक्रेन-रूस युद्ध एवं इसके अतिरिक्त लू का प्रभाव भी गेहूं के उत्पादन पर देखने को मिला है। लू की वजह से गेहूं की फसल को काफी हानि का सामना करना पड़ा है। अगर हम केंद्र सरकार के आंकड़ों के मुताबिक देखें तो 15 दिसंबर तक केंद्र के पास लगभग 180 लाख टन गेहूं एवं 111 लाख टन चावल का भंडारण था। बतादें कि आपूर्ति में कमी आने की वजह से फसल साल 2021-22 (जुलाई-जून) में गेहूं की पैदावार में घटोत्तरी होकर 10 करोड़ 68.4 लाख टन तक बचना है। एक वर्ष पूर्व यह वर्ष 10 करोड़ 95.9 लाख टन था। आगामी गेहूं खरीद अप्रैल 2023 से आरंभ होगी।

देश में गेंहू के भाव में निरंतर बढ़ोत्तरी का क्या कारण है।

देश में गेंहू के भाव में निरंतर बढ़ोत्तरी का क्या कारण है।

भारत एक कृषि प्रधान देश है। यहाँ विभिन्न राज्यों में अलग अलग फसलों का उत्पादन किया जाता है। उसी प्रकार उत्तर प्रदेश भी गेंहू का एक अच्छा उत्पादक राज्य है। जानकारी के मुताबिक उत्तर प्रदेश में गेहूं का भाव 3050 रुपए प्रति क्विंटल है। हालात ऐसे हो गए हैं, कि सबसे बड़े गेंहू उत्पादक राज्य की पहचान रखने वाला उत्तर प्रदेश गुजरात से गेंहू खरीद रहा है। जबकि इसी अनाज का भाव राजस्थान राज्य में 2800 रुपए प्रति क्विंटल है। अगर हम अंतर्राष्ट्रीय स्तर की बात करें तो रूस व यूक्रेन युद्ध की वजह से विभिन्न देशों में गेंहू की खाद्य आपूर्ति काफी प्रभावित हुई है। वर्तमान में उत्तर प्रदेश, बिहार दिल्ली जैसे राज्यों में गेंहू की कीमत 3000 के पार हो चुकी है। इस वजह से पूर्वी भारत क्षेत्रों में गेंहू की उपलब्धता में कमी देखने को मिली है। केंद्र सरकार द्वारा गेंहू को खुले बाजार में बेचने की योजना जारी करने में ढिलाई बरती है, नतीजतन गेंहू के भाव में निरंतर बढ़ोत्तरी देखने को मिल रही है। साथ ही, केंद्र सरकार द्वारा प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना हेतु गेंहू का आवंटन बाधित कर दिया है, जो कि इस समस्या का कारण बना हुआ है।
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गेंहू की उपलब्धता को लेकर उत्तरी सूबा भी काफी समस्याओं से जूझ रहा है। कृषि एगमार्केट द्वारा प्रेषित आकड़ों के अनुरूप 8 जनवरी को गेंहू का भाव 2788 रुपए प्रति क्विंटल हो गया था। विगत वर्ष के तुलनात्मक यह भाव 20 प्रतिशत ज्यादा है। अगर हम उपभोक्ता मंत्रालय के आंकड़ों की बात करें, तो गेंहू का मूल्य खुदरा बाजार में 31.17 किलो है विगत वर्ष की तुलना में 18.5 फीसद की बढ़त दर्ज हुई है। गेंहू का भाव 2022 के रबी सीजन में निर्धारित एमएसपी 2015 रुपए प्रति क्विंटल होने के बाद निरंतर बढ़े हैं। वर्ष 2023 में एमएसपी 2125 रुपए हो गई है। एक ट्रेड विश्लेषण के तहत गेंहू के साथ चावल की आपूर्ति संबंधित समस्या सामने आयी है। इस वजह से पैदावार के आंकड़ों पर भी शक जाता है। उदाहरण के तौर पर हम देखेंगे कि पश्चिम बंगाल ने अनाज खरीदी का 60 लाख टन अनाज खरीदने का लक्ष्य निर्धारित करने के बावजूद मात्र 20 लाख टन ही गेंहू की खरीद कर पाया है। ट्रेड विशेषज्ञों के अनुसार अनाज के भावों में निरंतर बढ़ोत्तरी साबित कर रही है कि महंगाई दर भी बढ़ रही है। साथ ही, गेहूं की कीमत आगामी उपज तक 3300 रुपये प्रति क्विंटल तक होने के आसार हैं। यही दशा फरवरी माह के समापन या मार्च के आरंभ तक ऐसी ही बनी रहेगी। उस समय तक गुजरात में गेहूं की नवीन पैदावार बाजार में आ चुकी होगी। आरएफएमएफआई के प्रमोद कुमार का कहना है, कि उत्तर प्रदेश एवं बाकी के उत्तरी राज्यों में गेहूं के फसल की आवक मार्च माह के समापन तक आरंभ होगी। इस स्थिति में केंद्र सरकार को अपने भंडारण से ओएमएसएस योजना के अनुरूप अनाज विक्रय किया जा सकता है। गेहूं कारोबारियों के अनुसार केंद्र सरकार खासकर पीएमजीकेएवाई को देखते हुए बाजार पर करीबी नजर बनाए हुए है।
भारत में कम होंगे गेंहू की कीमत, भारत सरकार खुले बाजार में उतारने जा रही गेंहू

भारत में कम होंगे गेंहू की कीमत, भारत सरकार खुले बाजार में उतारने जा रही गेंहू

भारत के अंदर गेहूं व आटे के भाव काफी तीव्रता से बढ़ रहें हैं। आटा 34 रुपये प्रति किलोग्राम से ज्यादा हो गया है। आटे का भावों को काबू में रखने के लिए केंद्र सरकार द्वारा पहल की गयी है। केंद्र सरकार ने बाजार में 30 लाख टन गेहूं उतारने का निर्णय लिया है। अनाज के भाव ज्यादा ना बढ़ें। इस विषय पर केंद्र सरकार निरंतर पहल कर रही है। भारत के अंदर गेहूं का भाव विगत काफी समय से बढ़ा हुआ हैं। इससे देश की आम जनता की रसोई का बजट डगमगा रहा है। साथ ही, केंद्र सरकार पर भी दबाव बनाया जा रहा है, कि अतिशीघ्र गेहूं के भावों को काबू में लाया जा सके, ताकि आमजन आर्थिक रूप से चिंतित नहीं रहें। केंद्र सरकार की तरफ से गेहूं का भाव काबू करने हेतु निरंतर पहल की जा रही है। परंतु, फिलहाल वह नाकामयाब साबित माने जा रहे हैं। केंद्र सरकार इसी कड़ी में बड़ा कदम उठाने जा रही है।

खुले बाजार में उपलब्ध कराया जाना है 30 लाख टन गेहूं

गेहूं के भावों का प्रभाव आटे पर निश्चित रूप से पड़ने जा रहा है। गेहूं के भावों में वृद्धि होने के साथ आटे के भाव भी बढ़ते चले गए हैं। परंतु, गेहूं एवं आटे के भाव को राहत पहुँचाने के लिए केंद्र सरकार बड़ी पहल कर रही हैं। आटे के बढ़ते भावों को रोकने हेतु केंद्र सरकार खुले बाजार में 30 लाख टन गेहूं आवंटित करेगी। जिसके लिए सरकार की तरफ से गठित समिति ने भी स्वीकृति प्रदान कर दी है। विशेषज्ञों ने बताया है, कि बाजार में गेहूं की कमी आने से खपत ज्यादा होने की वजह से गेहूं एवं आटें के भाव में वृद्धि देखी गई है।
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गेंहू भंडारण FCI ई-ऑक्शन से जारी किया जाएगा

मीडिया से मिली खबरों के मुताबिक, बाजार में गेहूं की उपलब्धता का दायित्व एफसीआई के पास है। ई-ऑक्शन मतलब ई-नीलामी के माध्यम से ओपन मार्केट सेल योजना के अंतर्गत गेहूं बाजार में उपलब्ध किया जाएगा। गेहूं का भंडारण आटा मिलर एवं भारत के बड़े-बड़े थोक खरीदारों को टेंडर के माध्यम से विक्रय किया जाएगा। केंद्र सरकार का प्रयास है, कि बाजार में गेहूं की खपत काफी बढ़ने पर भी मांग में ज्यादा बढ़ोत्तरी नहीं हो पाए। इससे गेहूं एवं आटे के भाव में घटोत्तरी देखी जा रही है।

गेहूं 2350 रुपये प्रति क्विंटल तक उपलब्ध कराया जाना है

भारत में गेहूं के भाव को कम करने हेतु राज्य के अतिरिक्त को-ऑपरेटिव एवं सरकारी कंपनियों को भी गेहूं प्रदान किया जाएगा। केंद्र सरकार के स्तर से केंद्रीय भंडार, एनसीसीएफ एवं नाफेड को भी गेहूं उपलब्ध कराया जाएगा। केंद्र सरकार द्वारा इन्हें बिना टेंडर के 2350 रुपये प्रति क्विंटल के भाव पर गेहूं का विक्रय किया जाएगा।

गेंहू का भाव 34 रुपये से कम होकर 29 रुपए प्रति किलो में बिकेगा अनाज

केंद्र सरकार का प्रयास है, कि किसी भी कीमत पर आमजन की रसोई के अंदर महंगा आटा नहीं पहुँचे। इसी बात को ध्यान में रखकर ओएमएस योजना में एक नई शर्त जारी कर दी गई है। शर्त के मुताबिक, कंपनी अथवा मिलर सरकार के स्तर से गेहूं खरीदेंगे। वह गेहूं से आटा तैयार करें और उनको किसी से भी महँगा आता खरीदने की आवश्यकता नहीं है। फिलहाल खुदरा दाम 29.50 रुपये से अधिक नहीं होगा। स्पष्ट है, कि आम जनता को आटा 29.50 रुपये प्रति किलोग्राम के हिसाब से मिलेगा। वर्तमान समय में आटे का भाव 34 रुपये से ज्यादा पहुँच गया हैं। ऐसी स्थिति में केंद्र सरकार की पहल से आटे का भाव 30 रुपये से भी कम हो गया है।

गेहूं और आटा बाजार में काफी मूल्य पर बेचा जा रहा है

आंकड़ों के मुताबिक, वर्ष 2022 में आटे के भाव में 18 फीसद और गेहूं के भाव में 14 फीसद तक बढ़ोत्तरी दर्ज की गई है। गेहूं का भाव भारत की विभिन्न जगहों पर 29 से 41 रुपये जबकि आटे का भाव 34 से 45 रुपये किलोग्राम तक है। गेहूं भी 3200 से 3300 रुपये प्रति क्विंटल तक विक्रय किया जा रहा है। गेहूं ही खुले में 32 से 33 रुपये प्रति क्विंटल के हिसाब से विक्रय किया जा रहा है। ऐसे में आटे की कीमत बढ़ी हों, तब इसमें कुछ भी हैरान करने वाली बात नहीं है।